Ebook: Samveda, Yajurveda, Atharveda and Rigveda (4 Vedas Set) सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद in Hindi
- Genre: Religion
- Tags: Hinduism
- Series: Vedas
- Year: 2014
- Publisher: Vishv Books Private Ltd.
- Edition: 1
- Language: Hindi
- pdf
सामवेद-'सामवेद' को 'ऋग्वेद' का पूरक कहा जाता है. इस रूप में इस की महत्ता 'ऋग्वेद' से किसी भी तरह काम नहीं मानी जा सकती. इसीलिए यह वेदत्रयी में गिना जाता है. गीता में उपदेशक कृष्ण ने 'वेदानां सामवेदोअस्मि' कह कर सामवेद की विशिष्ट्ता की ...........
यजुर्वेद-द्वितीय वेद के रूप में प्रसिद्ध यजुर्वेद ज्ञान (वेद) की वह शाखा है, जिस में यज्ञीय कर्मो का वर्चस्व है, क्योंकि इस के गद्यात्मक मंत्र पुरोहितों द्वारा यज्ञ संपन्न कराने के लिए गए थे, इसीलिए आज भी विभिन्न संस्कारों एवं यज्ञीय कर्मों के अधिकांश मंत्र यजुर्वेद के ही होते हैं..............
अथर्ववेद-भारतीय साहित्य एवं संस्कृति में लंबे समय तक तीन ही वेदों की मान्यता रही थी-ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद. इन तीनो वेदों में जहाँ यज्ञों, देवस्तुतियों, स्वर्ग प्राप्ति आदि को महत्त्व दिया गया है, वहां चौथे अर्थात अथर्ववेद में इन के अतिरिक्त लौकिक जीवन से संबंधित औषधियों, जादू, टोनटोटकों का भी वर्णन है. ............
ऋग्वेद आर्यों एवं भारतीयों की ही नहीं, विश्व की सब से प्राचीन पुस्तक है। सब से प्राचीन संस्कृति-वैदिक संस्कृति के प्राचीनतम लिखित प्रमाण होने के कारण ऋग्वेद की महत्ता सर्वमान्य है- फिर भी ऋग्वेद की ऋचाओं का ऋषियों ने ईश्वरीय ज्ञान के रूप में साक्षात्कार किया था या उन्होंने उन की रचना की थी, यह विषय विवादास्पद है। .................
यजुर्वेद-द्वितीय वेद के रूप में प्रसिद्ध यजुर्वेद ज्ञान (वेद) की वह शाखा है, जिस में यज्ञीय कर्मो का वर्चस्व है, क्योंकि इस के गद्यात्मक मंत्र पुरोहितों द्वारा यज्ञ संपन्न कराने के लिए गए थे, इसीलिए आज भी विभिन्न संस्कारों एवं यज्ञीय कर्मों के अधिकांश मंत्र यजुर्वेद के ही होते हैं..............
अथर्ववेद-भारतीय साहित्य एवं संस्कृति में लंबे समय तक तीन ही वेदों की मान्यता रही थी-ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद. इन तीनो वेदों में जहाँ यज्ञों, देवस्तुतियों, स्वर्ग प्राप्ति आदि को महत्त्व दिया गया है, वहां चौथे अर्थात अथर्ववेद में इन के अतिरिक्त लौकिक जीवन से संबंधित औषधियों, जादू, टोनटोटकों का भी वर्णन है. ............
ऋग्वेद आर्यों एवं भारतीयों की ही नहीं, विश्व की सब से प्राचीन पुस्तक है। सब से प्राचीन संस्कृति-वैदिक संस्कृति के प्राचीनतम लिखित प्रमाण होने के कारण ऋग्वेद की महत्ता सर्वमान्य है- फिर भी ऋग्वेद की ऋचाओं का ऋषियों ने ईश्वरीय ज्ञान के रूप में साक्षात्कार किया था या उन्होंने उन की रचना की थी, यह विषय विवादास्पद है। .................
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